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MP में BJP का ये अजेय दिग्गज नेता बना नेता प्रतिपक्ष अब से इनके हॉथ BJP की कमान


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भोपाल में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में बीजेपी विधायकों की बैठक हुई जिसमें नेता प्रतिपक्ष के तीन दावेदारों में से गोपाल भार्गव का चुनाव हुआ।गोपाल भार्गव के अलावा नरोत्तम मिश्रा और राजेंद्र शुक्ल भी नेताप्रतिपक्ष के दावेदार थे।लगातार सन 1984 से से mp के सागर जिले की रहली विधानसभा  क्षेत्र से विधायक हैं गोपाल भार्गव ।बीजेपी सरकार में 15 साल तक लगातार मंत्री बने रहने वाले एक मात्र विधायक हैं। बीजेपी विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गोपाल भार्गव के नाम का प्रस्ताव रखा. इसका नरोत्तम मिश्रा और कुंवर सिंह ने समर्थन किया.छात्र राजनीति के दौर में कॉलेज निर्माण के लिए जेल में रहे गोपाल भार्गव 1980 में पहली बार गढ़ाकोटा नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए थे. इसके बाद 1984 में पहली बार रहली से विधायक बने. गोपाल भार्गव को उमा भारती की सरकार में पहली बार मंत्री बनाया गया था. साल 2008 में उन्हें पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया.
साल में दो बार सामूहिक विवाह सम्मेलन करवाने वाले भार्गव को ‘शादी बाबा' के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने अपने बेटे अभिषेक की शादी भी सामूहिक विवाह सम्मेलन में कराई थी। फिलहाल वे मध्यप्रदेश विधानसभा के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं.भार्गव बुन्देलखंड अंचल के बीजेपी के कद्दावर नेता हैं. वे सन 1984 से 2018 तक लगातार सागर जिले की रहली विधानसभा से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. उन्होंने सभी आठ चुनाव जीते. मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार में 15 साल लगातार मंत्री बने रहने वाले वे एक मात्र विधायक हैं. गोपाल भार्गव उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराजसिंह चौहान तीनों मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में मंत्री रहे हैं.मध्यप्रदेश में बीजेपी के विधायकों का नेता चुनने के लिए सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में बैठक हुई. बैठक में राजनाथ ने पार्टी विधायकों से चर्चा की. बीजेपी की ओर से प्रतिपक्ष के नेता पद के लिए तीन ब्राह्मण नेता दावेदार थे पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव और राजेंद्र शुक्ल. इन सबकी अलग-अलग कारणों से मजबूत दावेदारी थी।नरोत्तम मिश्रा दिल्ली की पसंद थे, तो भार्गव लगातार आठ बार से विधायक निर्वाचित होने के कारण प्रबल दावेदार थे. शुक्ल को इस बार विंध्य क्षेत्र में बीजेपी को बड़ी सफलता दिलाने का श्रेय है. इन तीनों दावेदारों में से एक को नेता चुनना बीजेपी के लिए आसान नहीं था. पार्टी में गोपाल भार्गव के नाम पर आम सहमति बन गई और फिर उन्हें नेता प्रतिपक्ष चुन लिया गया.

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